नई दिल्ली. अपने दो शीर्ष अधिकारियों के बीच तनातनी को लेकर विवादों में चल रही देश की सबसे प्रीमियम जांच एजेंसी सीबीआई का इतिहास देश की आजादी से पहले शुरू होता है. देश के कई हाई-फाई और विवादित मामलों की जांच करके दुनिया भर में सुर्खिंयां बटोरने वाली इस एजेंसी का इतिहास दूसरे विश्वयुद्ध से शुरू होता है.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भ्रष्टाचार और घूसखोरी की जांच के लिए भारत की ब्रिटिश सरकार ने 1941 में स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट (एसपीई) की बुनियाद रखी गई. तब इसकी निगरानी युद्ध विभाग करता था. हालांकि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद भी इसका सफर जारी रहा और इसके जिम्मे केंद्र सरकार के कर्मचारियों से संबंधित रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच का काम आ गया. इस दौरान यह दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट, 1946 के प्रावधानों के तहत काम करने लगी और यह तत्कालीन ब्रिटिश भारत सरकार के गृहमंत्रालय के अधीन काम करने लगी. हालांकि तब भी इसका नाम एसपीई ही था. इसके जिम्मे अब भारत सरकार के सभी विभागों के भ्रष्टाचार के मामलों की देखरेख आ गई. एसपीई के क्षेत्राधिकार का सभी संघ शासित राज्यों में विस्तार किया गया और संबंधित राज्य सरकार की सहमति से राज्यों को भी इसमें शामिल किया जा सका.
दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट के तहत गृह मंत्रालय की ओर से दिनांक 01.04.1963 के रेज्योल्यूशन के जरिए इसका नाम केंद्रीय जांच ब्यूरो या सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई कर दिया गया. हालांकि सीबीआई हिंदी में अपना नाम केंद्रीय जांच ब्यूरो की जगह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो लिखती है.
शुरू में केंद्र सरकार की ओर से केवल उन्हीं अपराधों की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया गया, जिनका ताल्लुक केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार से था. हालांकि बाद में आगे चलकर, बड़े पैमाने पर सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना होने से इन उपक्रमों के कर्मचारियों को भी सीबीआई की जांच दायरे में लाया गया. इसी प्रकार, 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने पर, सरकारी क्षेत्र के बैंकों और उनके कर्मचारी भी सीबीआई की जांच की जद में लाया गया.
सीबीआई के संस्थापक निदेशक श्री डी.पी. कोहली थे, जिन्होंने 01 अप्रैल, 1963 से 31 मई, 1968 तक इसका कार्यभार संभाला. इससे पहले आप वर्ष 1955 से वर्ष 1963 तक विशेष पुलिस स्थापना के पुलिस-महानिरीक्षक रहे. उससे भी पहले, आपने मध्य भारत, उत्तर प्रदेश और भारत सरकार के पुलिस महकमें में विभिन्न जिम्मेदार पदों पर कार्य किया. एसपीई का कार्यभार संभालने से पहले आप मध्य भारत में पुलिस प्रमुख रहे. कोहली को उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए वर्ष 1967 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था.
कोहली एक दूरांदेशी थे, जिन्होंने विशेष पुलिस स्थापना की एक राष्ट्रीय जांच एजेंसी के रूप में बढ़ती क्षमता को भांपा. उन्होंने पुलिस महानिरीक्षक तथा निदेशक के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान संगठन को शक्तिशाली बनाया और मजबूत बुनियाद रखी जिस पर दशकों से संगठन आगे बढ़ते हुए अपने इस मुकाम पर पहुंचा है.