भारत के संविधान की उद्देशिका/Objective of the Constitution of India
हम, भारत के लोग, भारत को एक [संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य] बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को : सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और (राष्ट्र की एकता और अखंडता) सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हज़ार छह विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं.
नोटः पहले भारत के संविधान की उद्देशिका ( Objective of the Constitution of India) को संविधान का हिस्सा नहीं माना जाता था. सुप्रीम कोर्ट ने बेरुबारी यूनियन वाद 1960 के मामले में खुद यह बात कही थी. हालांकि केशवानन्द भारती बनाम केरल राज्य मामले में 1973 में दिये निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान का हिस्सा बताया. संविधान का हिस्सा होने के कारण ही संसद ने 42वें संविधान संशोधन के जरिए इसे संशोधित किया था और इसमें समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और अखंण्डता शब्द जोड़े थे.